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भगवद गीता के सबसे शक्तिशाली दो श्लोक | अर्था । आध्यात्मिक विचार

2019-02-05 3 Dailymotion

इस विडियो में देखिए भगवद गीता के सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित दो श्लोक<br /><br />Don't forget to Share, Like & Comment on this video<br /><br />Subscribe Our Channel Artha : https://goo.gl/22PtcY <br /><br />1 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥<br />परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥ <br /> <br />2 इस श्लोक का अर्थ है :<br />जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, उस समय,<br />मैं अपने आप को खुद प्रकट कर दूंगा या मैं फिर खुद आऊंगा<br />भक्तों की सुरक्षा के लिए, दुष्टों का पूर्ण विनाश करने के लिए,<br />और धर्म स्थापित करने के लिए, युग उपरांत युग में प्रकट होऊंगा<br /> <br />3 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।<br />मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्व कर्मणि ॥<br /> <br />4 इस श्लोक का अर्थ है :<br />आपको वास्तव में कर्म अर्थात कार्य करने का अधिकार है<br />परंतु इसके परिणाम अर्थात फ़ल की इच्छा रखने का अधिकार नहीं है<br />इसलिए फ़ल की इच्छा रख कर कर्म मत करों<br />और फल की इच्छा ना ऱखने का यह अर्थ भी नहीं है की आप कर्म करना भी छोड़ दे<br /><br />Like us @ Facebook - https://www.facebook.com/ArthaChannel/ <br />Check us out on Google Plus - https://goo.gl/6qG2sv <br />Follow us on Twitter - https://twitter.com/ArthaChannel <br />Follow us on Instagram -https://www.instagram.com/arthachannel/ <br />Follow us on Pinterest - https://in.pinterest.com/channelartha/ <br />Follow us on Tumblr - https://www.tumblr.com/blog/arthachannel

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